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Anas Siddiki

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ROM क्या है और ये कितने प्रकार की होती है? – anassiddiki.com

by anassiddiki

आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं ROM के बारे में. जिसके बारे में आपने जरुर सुना होगा और आपमें से बहोत से लोगो को इसके बारे में पता भी होगा की इसका इस्तिमाल कहाँ और क्यूँ होता है.

लेकिन जो इसके बारे में नहीं जानते है उनके लिए आर्टिकल काफी हेल्पफुल साबित होने वाला है. और जिन्हें पता है उन्हें भी ये आर्टिकल पधान चाहिए. क्यूँ की इस से आपका ज्ञान और भी बढ़ जायेगा.

जैसे की रब ने हमारा मस्तिष्क बनाया है ताकि हम चीजें, लम्हें, यादें और बातों को अपने दिमाग में store कर सके और जरुरत पड़ने पर हमें वो सब याद रह सके.

ठीक उसी तरह computer के विज्ञानिकों ने computer तो बनाया और साथ ही data store करने के लिए एक चिप भी बनायीं जिसे memory कहा जाता है.

Computer में program data इनफार्मेशन को store करने के लिए memory की जरुरत होती है. ताकि हम जब भी computer से एक ही data की मांग हर बार करे तो वो अपनी memory में store उस data को निकाल कर हमें दिखा सके.

वैसे तो computer में मोमोरी तो बहोत से प्रकार की होती है लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम ROM के बारे में जानने वाले हैं की आखिर ये ROM क्या होता है? और इसका कार्य किया है और ये कितने प्रकार का होता है. तो चलिए सब से पहले जानते हैं की ROM क्या है?

अनुक्रम

  • ROM क्या है?
    • ROM कैसे काम करता है?
    • ROM कितने प्रकार की होती है?
    • PROM क्या है?
    • EPROM क्या है?
    • FLASH MEMORY/EEPROM क्या है?
    • ROM के फायदे (Advantages of ROM in Hindi)

ROM क्या है?

ROM क्या है और ये कितने प्रकार की होती है? - anassiddiki.com

ROM को read only memory कहा जाता है जो केवल data को read करने के लये होती है. ये एक चिप के रूप में computer के motherboard में लगायी जाती है.

जो data को स्थाई रूप से यानी permanently store करती है. ROM non volatile memory होती है.

मतलब जैसे की computer की power supply बंद हो जाती है तो ROM अपने chip में store data को नहीं खोती.

ROM वो memory program है जिस में computer के निर्माण के समय computer को start करने वाली प्राथमिक program और settings होती है.जो कंप्यूटर को boot करने में मदद करती है.

Booting computer को शुरू करने की प्रक्रिया को कहा जाता है. इस मेमोरी में share किए गए program परिवर्तित और नष्ट नहीं किए जा सकते.

उन्हें केवल read किया जा सकता है इसीलिए ROM read only memory कहलाती है.

ROM में स्टोर program को BIOS जिसे basic input output system कहा जाता है.

ROM का उपयोग computer में firmware software को store करने के लिए भी किया जाता है.

Firmware Software को computer में उस समय install किया जाता है जिस समय इसके hardware जैसे keyboard, hard drive, video card इत्यादि फैक्ट्री में बनाये जाते हैं.

इसी लिए इस software को hardware को चालाने वाला software भी कहा जाता है. और यही firmware software ROM में install किया जाता है.

जिसमे device को एक दुसरे के साथ communicate और intract करने के instructions मौजूद रहते हैं.

ROM का उपयोग computer के साथ साथ अन्य बुनियादी electronic devices जैसे washing machines, digital watch, TV, video game, robots में भी किया जाता है.

ROM के अलावा computer में RAM और secondary memory का भी उपयोग किया जाता है.

RAM जिसे Random Access Memory कहा जाता है. ये computer की temporary memory होती है.

क्यूँ की computer को बंद करने पर इसमें store data नष्ट हो जाता है इसीलिये इसे volatile memory भी कहा जाता है.

RAM और ROM ये दोनों computer की main memory होती है. और secondary memory computer की external memory होती है.

Secondary memory store किये गए data भी permanent हो कर रहते हैं. secondary memory की storage capacity भी main memory की तुलना में बहोत अधिक होती है.

Hard Disk, CD Drive, DVD, PENDRIVE ये सब भी secondary memory होती है. जिसका इस्तिमाल आज कल हर कोई करता है extra data store करने के लिए.

तो चलिए दोस्तों अब हम जानेंगें की ROM कैसे काम करता है?

ROM कैसे काम करता है?

ROM एक chip के आकार की होती है जो की motherboard और CPU से जुडी होती है.

ROM का कार्य एक storage के रूप में किया जाता है. जिसके अन्दर हम कुछ भी data सेव कर सकते हैं. जैसे की softwares, applications, documents, audio और video files.

ROM एक permanent storage device है जिसमे से हम कभी भी data को access कर सकते हैं.

ROM हमारे computer या mobile की booting process और system को start करने में हमारी मदद करता है.

ये हमारे mobile और computer का एक बहोत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके बिना हम data store कर के नहीं रख सकते हैं.

जब हम computer या mobile on करते हैं किसी software या applications को चलने के लिए system ROM से application का data access करता है और फिर RAM की मदद से application काम करना शुरू करता है.

फिर जब हम application को बंद कर देते हैं तब उसका data वापस से ROM में चला जाता है और RAM से data खली हो जाता है.

हम जितने भी images, videos और applications download और install करते हैं वो सभी ROM में save हो कर रहते हैं.

चलिए अब जानते हैं की ROM कितने प्रकार की होती है.

operating system क्या है और ये कितने प्रकार के होते हैं?

ROM कितने प्रकार की होती है?

ROM को उसके structure और manufacture और data मिटाने के अनुसार तीन हिस्सों में बांटा गया है.

  1. PROM
  2. EPROM
  3. EEPROM

चलिए हम इन तीनों के बारे में विस्तार से समझते हैं.

PROM क्या है?

PROM को programmable read only memory कहा जाता है ये एक मोमोरी चिप होती है जिसे OTP यानी one time programmable चिप भी कहा जाता है. क्यूँ की इसमें data को केवल एक बार ही program किया जा सकता है. उसके बाद इसमें से data को इरेस नहीं किया जा सकता.

User मार्किट से blank यानि खाली PROM को खरीदता है और उसके बाद इसमें जो instructions डालना चाहता है वो दाल सकता है.

इस memory में छोटे छोटे fuse होते हैं जिनके अन्दर programming के जरिये instructions डाला जाता है. जिसे दुबारा update नहीं किया जा सकता.

PROM permanent रूप से data को write करने के लिए programming को बर्निंग कहा जाता है और इसके लिए एक विशेष machine की आवशकता होती है. जिसे PROM burner कहा जाता है.

PROM का उपयोग digital devices में data को हमेशा शुरक्षित रखने के लिए किया जाता है.

EPROM क्या है?

EPROM को erasable programmable read only memory कहा जाता है. इस चिप पर store की गयी इनफार्मेशन को ultra-violet rays द्वारा चालीस मिनट के लिए लाइट पास किया जाता है.

तब जाकर इसकी ममोरी को मिटाया जा सकता है. इस ROM की ख़ास बात ये है की इसे हम आसानी से erase भी कर सकते हैं और programभी कर सकते हैं.

EPROM को reprogrammed भी किया जा सकता है. मतलब इसमें data को erase करने के बाद फिरसे प्रोग्राम डाले जा सकते हैं.

EPROM सस्ती और भरोसे मंद होती है. EPROM में कुछ कमियां भी हैं जैसे की इसमें data को erase करने के लिए बिजली की खपत ज्यादा होती है.

इसमें data को मिटने या दोबारा प्रोग्राम को शुरू करने के लिए इसे computer से निकालना पड़ता है.

जब हम ultra-violet rays की मदद से data को डिलीट करते हैं तो इसमें चिप का पूरा data डिलीट हो जाता है,.

FLASH MEMORY/EEPROM क्या है?

EEPROM को electrically erasable programmable read only memory कहा जाता है. ये एक unchanging memory है. क्यूँ की इसमें भी भी data को permanent रूप से store किया जाता है.

Flash memory को electrical signal यानी बिजली की मदद से इसके permanent data को हटाया जा सकता है.

इस प्रकार की memory का उपयोग digital camera, mp3 player में होता है.

EEPROM को hybrid memory भी कहा जाता है क्यूँ की ये RAM के समान data को read और write करता है. लेकिन ROM के समान data को store करके रखता है. ये RAM और ROM दोनों का एक मिश्रण है.

EPROM की तरह इस ROM को data को मिटने के लिए computer से बहार निकालना पड़ता है और साथ ही इसमें हम चुने हुए data को भी डिलीट कर सकते हैं जो की हम EPROM में नहीं करपा रहे थे.क्यूँ की वहां पर पूरा चिप का data डिलीट हो जाता है.

EEPROM में प्रोग्राम करना आसान है और इसमें अनगिनत बार रेप्रोग्राम किया जा सकता है.

तो चलिए दोस्तों अब जानते हैं की advantages of ROM यानी ROM के फायदे के बारे में.

ROM के फायदे (Advantages of ROM in Hindi)

  • ROM system software या firmware software को store करने के लिए किया जाता है
  • ROM RAM से बहोत सस्ता होता है और इसके मुकाबले काफी ज्यादा size में में उपलध होता है.
  • ROM का data अपने आप नहीं बदलता. इसमें सिर्फ data को read किया जा सकता है. अगर हम चाहें तो इसमें कोई नया data जोड़ नहीं सकते. क्यूँ की इसमें developers और programmers के द्वारा एक ही बार data को write किया जाता है.
  • ROM non volatile प्रकृति का है. जो की program को स्थायी बनाये रखता है. जिस से की computer के बंद होने से भी हमारा data शुरक्षित और एक लम्बे समय तक बना रहता है.
  • ROM computer के दुसरे memory RAM से अधिक भरोसेमंद है. क्यूँ की RAM में data तब तक रहता है जब तक computer में power supply रहता है.
  • ROM में बहोत ही सोच समझ कर program और instructions डाले जाते हैं. क्यूँ की हम इसे बार बार नहीं बदल सकते.

तो उम्मीद है की आपको हमारे इस आर्टिकल से काफी कुछ सिखने को मिला होगा और आपको पसंद भी आया होगा. अगर आपको पसंद आया होतो निचे LIKE button को दबा दो और अपने फ्रेंड्स और फॅमिली साथ share करो ताकि जिन्हें जरुरत है वो सिख सकें.

अगर आपको हमारे इस आर्टिकल में कोई कमी या कोई गलती नज़र आई होतो या इस से रिलेटेड आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमें बेझिझक comment कर के बता सकते हैं.

आर्टिकल पढने के लिए दिल से शुक्रिया.

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Anas Siddiki is the Founder & Author of anassiddiki.com. Currently He is an Student of Madrasa Majlis e Dawaltul Haq. He has completed his School Study From Shree Kailash Manas Vidyamandir.He loves to do Blogging related to technology, Android & YouTube.

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