जहाँ सात अजूबे की बात आती है तो सबके दिमाग में सिर्फ ताज महल की तस्वीर आती है लेकिन बाकी के अजूबों के बारे में अक्सर लोग नहीं जानते हैं कोई बात नहीं इस आर्टिकल में आपको सारी जानकारी मिलेगी दुनिया के सात अजूबे की.
आधुनिक दुनिया के सात अजूबे जो कि पिछले 100 सालों से जाने जाते हैं इनमें से कुछ अजूबे ऐसे हैं जो पुराने सात अजूबों में अपनी जगह बनाए हुए हैं. इन सातों अजूबों को एक सर्वे के हिसाब से चुना गया है. जिनको पूरी विश्व के लोगों ने आश्चर्यजनक मानते हुए अजूबा माना है तो चलिए अब बात करते हैं दुनिया के सात अजूबे के नाम और इसकी जानकारी हिन्दी में.
दोस्तों हम सभी बचपन से ही यह सुनते आए हैं कि आगरा का ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है. लेकिन ये सुनकर आप भी हैरान होंगे कि ताजमहल का नाम पहले से दुनिया के सात अजूबों की list में नहीं था ये तो अभी अभी कुछ साल पहले ही शामिल हुआ है.
अनुक्रम
दुनिया के सात अजूबे की जानकारी
दरससल duniya ke saat ajoobe 2007 में पूरी तरह से बदल चुके हैं क्योंकि साल 2000 से 2007 के बीच स्विट्जरलैंड के new7wonders Foundation के द्वारा दुनिया के 200 हिस्टोरिकल बिल्डिंग को लेकर सर्वे कराया गया और फिर इस तरह से 2007 में जाकर दुनिया के नए सात अजूबों की लिस्ट तैयार की गई.
दोस्तों अगर पुरानी seven wonders of the world in hindi की हम बात करते हैं तब उस लिस्ट के अंदर सात नाम आते हैं जो आपको इस पोस्ट के अंत में मिल जाएगा. हालांकि 2007 में यह पूरी तरह से अपडेट हो चुकी है क्योंकि world के 7 wonders अब बदल गए हैं तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम दुनिया के नए सात अजूबे के बारे में ही बात करने वाले हैं.
दुनिया के सात अजूबे की लिस्ट
- चीन की विशाल दीवार (THE GREAT WALL OF CHINA – CHINA)
- पेत्रा (PETRA – JORDAN)
- क्राइस्ट द रिडीमर (CHRIST THE REDEEMER – Rio de Janeiro, Brazil)
- ताजमहल (THE TAJ MAHAL – AGRA, INDIA)
- कोलोसियम (COLOSSEUM – Roma RM, Italy)
- माचू पिच्चू (MACHU PICCHU – PERU)
- चिचेन इत्जा (CHICHEN ITZA – Yucatan, Mexico)
1. चीन की दीवार | THE GREAT WALL OF CHINA
द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना दरअसल चीन के इस दीवार को पाँचवी सेंचुरी से लेकर सोलहवी सेंचुरी तक बनाया गया था और इस दीवार को बनाने में करीब बीस से तीस लाख लोगों ने अपनी पूरी लाइफ लगा दी. यहाँ तक की 6400 किलोमीटर में बने हुए इस दीवार को कई सारे राजाओं ने अलग-अलग समय में मिलकर बनवाया था.
दोस्तों इस दीवार का उद्देश्य चीनी साम्राज्य पर हमला करने वाले दुश्मनों से रक्षा करना था और यह दीवार इतनी बड़ी और लंबी है कि इसे अंतरिक्ष से भी बहुत ही आसानी से देखा जा सकता है इसके इतने अद्भुत होने की वजह से इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया.
जैसे कि चीन के पूर्व सम्राट किंग्स शी हुआंग ने जब इस दीवार को बनाने का सोचा था उसके करीब 2000 साल बाद जाकर ये तैयार हो सका और यही वजह है कि इस दीवार को बहुत सारे अलग-अलग राजाओं ने मिलकर बनवाया था और दोस्तों आज का समय अगर देखा जाए तो यह तैयार होने के बाद से भी 2300 साल से भी ज्यादा पुराना है इस बात पर आप अंदाजा लगा ही सकते हैं कि इस दीवार को बने हुए कितना टाइम हो चुका है.
लेकिन जब बात आती है कि आखिर इतना समय इसे बनाने में लगा कैसे तो दोस्तों यह छोटी मोटी दीवार नहीं है बल्कि इस दीवार की लंबाई 6400 किलोमीटर है और इसे हमलावरों से रक्षा के लिए तैयार किया गया था और इसकी बड़ी दिलचस्प बात यह है कि इस दीवार को बनाते समय इसकी ईटों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल किया गया था और यही इसकी मजबूती की असल वजह भी है.
हालांकि भले ही यह बहुत ही पुरानी धरोहर है लेकिन इस दीवार को 1970 में जाकर आम लोगों के लिए खोला गया था और दोस्तों हमने यह तो जान लिया इस दीवार की लंबाई 6400 किलोमीटर है लेकिन अगर इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह 9 फीट से लेकर 35 फीट तक की है और इस दीवार अलग-अलग जगहों के मुताबिक तैयार किया गया था और बस इस दीवार को इसलिए बनाया गया था ताकि दुश्मनों को दूर से आते हुए ही देखा जा सके.
लेकिन अचंभे की बात यह है कि इस दीवार के रहते हुए भी चीन को हार का सामना करना पड़ा था और 1211 में चंगेज खान ने इसके हिस्से को तोड़कर हमला कर दिया था. दोस्तों चीन की दीवार इतनी लंबी है कि इसकी सुरक्षा करना पॉसिबल नहीं है और यही वजह है कि 1960 और 70 के दशक में लोगों ने इस दीवार से ईंटें निकाल कर अपने लिए घर बनाने भी शुरू कर दिए थे.
हालांकि साकार के कठोर कदम पर यह चोरी काफी कम तो हो गई लेकिन आज भी यहाँ से ईटें गायब होती है इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि इस दीवार को बनाने में जो भी मजदूर अच्छे से मेहनत नहीं करते थे उन्हें इसी दीवार में ही दफना कर दिया जाता था और इसे बनाने में करीब दस लाख लोगों ने अपनी जान गवाई थी और यही वजह है कि वॉल ऑफ चाइना को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है.
वॉल ऑफ चाइना इंसानों के द्वारा बनाया गया एकमात्र ऐसा स्ट्रक्चर है जिसे की अंतरिक्ष से भी साफ-साफ देखा जा सकता है और लगभग एक करोड़ पर्यटक हर साल इस दीवार को देखने के लिए आते हैं जिसे पूरी दुनिया द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के नाम से जानती है वहीं चाइनीज में वान ली छांग छंग के नाम से जाना जाता है.
यहाँ पर बराक ओबामा, रिचर्ड निक्सन, रानी एलिजाबेथ टू और जापान के सम्राट अकीहितो सहित दुनिया भर के करीब 400 से भी ज्यादा बड़े बड़े नेता इस दीवार को आकर देख चुके हैं और the great wall of china की चौड़ाई इतनी है कि इसमें 5 घुड़सवार या फिर 10 सैनिक एक साथ गश्त कर सकते हैं और इस दीवार को यूनेस्को ने 1987 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया.
2. पेत्रा | PETRA
सेवेन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड में दूसरे नंबर पर है पेत्रा. जॉर्डन देश के अंदर पेत्रा एक ऐतिहासिक शहर है जोकि लाल चट्टानोंको काटकर बनी हुई इमारतों के लिए जाना जाता है और यहाँ पर मौजूद इमारतों में 138 फुट ऊंचा मंदिर, ओपन स्टेडियम, नहर और तालाब जैसी ही कई सारी चीजें शामिल है साथ ही पत्थरों को काटकर कुछ ऐसे art works यहाँ पर बनाए गए हैं जो कि लोगों का मन मोह लेते हैं. यूनेस्को के द्वारा भी पेत्रा को एक विश्व धरोहर होने का दर्जा मिला हुआ है और इन सभी चीजों की वजह से 2007 में इसे दुनिया के नए सात अजूबों में जगह दिया गया.
यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व में राजधानी के तौर पर स्थापित किया गया था. माना जाता है इसका निर्माण कार्य 1200 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था. आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल है जो कि दुनिया के सात अजूबों में शामिल है. पेत्रा अपनी विचित्र वास्तुकला के लिए दुनिया के सात अजूबों में शामिल है.
यहाँ तरह-तरह की इमारतें हैं जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है और सब पर बेहतरीन नक्काशी की गई है. इसमें 138 फीट ऊंचा मंदिर, नहरें, पानी के तालाब तथा खुला स्टेडियम है. पेत्रा जॉर्डन के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह उसकी कमाई का जरिया है पेत्रा पर्यटन के लिहाज से जॉर्डन के लिए सोने की अंडे देने वाली मुर्गी है.
पेत्रा एक पहाड़ की ढलान पर बना हुआ है और पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी में स्थित है. पहाड़ मृत सागर से अकाबा की खाड़ी तक चलने वाली घाटी की पूर्वी सीमा पर है. पेत्रा को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर होने का दर्जा प्राप्त है. पेत्रा का निर्माण होने की सही तारीख ज्ञात नहीं है लेकिन माना जाता है कि ईसका निर्माण कार्य 1200 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था. बाद में 106 इसवी में यह रोमन साम्राज्य के अधीन आ गया.
3. क्राइस्ट द रिडीमर | CHRIST THE REDEEMER
क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे की दुनिया के सबसे बड़े स्टैचू में शामिल किया जाता है और करीब 40 मीटर लंबी और 30 मीटर चौड़ी इस स्टैचू का वजन 365 टन की आस पास है.
इसका कंस्ट्रक्शन 1922 और 1931 के बीच में किया गया था और इस मूर्ति की खास बात यह है कि ये जिस पर्वत की चोटी पर स्थित है वहाँ से इस शहर का एस जबरदत नजारा दिखता है कि दुनिया भर के लोग बड़ी दिल चस्पी के साथ इसे देखने के लिए आते हैं
इस स्टैचू पर साल में तीन से चार बार बिजली जरूर गिरती है लेकिन 2014 में जनवरी में जब इस पर बिजली गिरी थी तो इसके सिर का पिछला हिस्सा और इसके हाथ के बीच की एक उंगली टूट गई थी चुकी जून में वहाँ पर वर्ल्ड कप होना था तो जून से पहले ही इस स्टैचू को वापस पहले जैसा कर दिया गया. वैसे तो टाइम टाइम पर इसकी मरम्मत और इसकी रिपेयरिंग चलती रहती है.
पर्यटकों को इस प्रतिमा तक पहुंचने के लिए 200 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती थी इसीलिए 2002 में इसमें स्वचालित सीढ़ियाँ और लिफ्ट की सुविधा दी गई. स्टेच्यू को मजबूत कंक्रीट का प्रयोग करके बनाया गया है और इसके बाहर की साइड में लगभग 6 मिलियन सॉफ्टस्टोन टाइलें लगाई गई है यह माना जाता है कि इन टाइलों को बनाने वाले जो कार्य करते उन्होंने उनके पीछे कुछ नोट लिखे हुए हैं इसका मतलब यह है कि इस प्रतिमा के पीछे अनेकों राज उनको संदेश देते हैं.
2007 में द क्राइस्ट रिडीमर प्रतिमा को विश्व के सात अजूबों में शामिल किया गया था और यह खिताब इसनें स्टैचू ऑफ लिबर्टी को हराकर जीता था. 2007 में वोटिंग हुई थी 7 अजूबों के लिए तो उस टाइम इसको स्टैचू ऑफ लिबर्टी से ज्यादा वोट मिले थे हालांकि यह स्टैचू ऑफ लिबर्टी से छोटा भी है और उस जितना पुराना भी नहीं है. शहर में जिस भी अपार्टमेंट से क्राइस्ट द रिडीमर दिखाई देता है वहाँ उस अपार्टमेंट की कीमत दोगुनी हो जाती है बजाए दूसरे अपार्टमेंट के.
मूर्ति को बनाने के लिए हल्के रंग के पत्थर का इस्तेमाल किया गया जो कि ओरो प्रीतो शहर के पास एक खदान से लिया गया था. यह पत्थर आपूर्ति में कम था तो उसको पूरा करने के लिए दूसरे पत्थरों का प्रयोग किया गया था जिसका नतीजा यह हुआ कि उनका रंग बदल गया इसका मतलब है कि क्राइस्ट द रिडीमर अभी भी धीरे धीरे गहरा होता जा रहा है. यहाँ लगभग 2 मिलियन पर्यटक हर साल आते हैं. 2011 में ईस्टर के दौरान एक ही दिन में 14000 पर्यटकों की संख्या रिकॉर्ड दर्ज की गई थी और दोस्तों कुछ ऐसे ही 7 wonders of the world in hindi की लिस्ट में चौथे नंबर पर है हमारा अपना ताजमहल.
4. ताजमहल | THE TAJ MAHAL
ताजमहल हमारे भारत देश के आगरा शहर में शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज़ महल के लिए सफेद संगमरमर से बनवाया गया एक खूसऊरत सा मकबरा है. 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था और दोस्तों 42 एकड़ में बसा हुआ यह मकबरा अपनी खूबसूरती की वजह से लाखों फॉरेन टूरिस्ट को अपनी तरफ खींच लाता है और यही वजह है कि यमुना नदी के किनारे बसे इस अद्भुत नमूने को दुनिया के सेवन वंडर्स में शामिल किया जाता है.
इस इमारत को बनवाने का श्रेय जाता है पांचवें मुगल सम्राट शाहजहां को जो कि काफी छोटी उम्र में ही यानी कि 1627 में अपने पिता की मृत्यु के बाद से गद्दी पर बैठे थे और फिर 1631 में उन्होंने ताजमहल बनवाने का निर्णय लिया.
यह फैसला उन्होंने अपनी बेगम मुमताज महल को हमेशा याद रखने के लिए लिया था क्योंकि मुमताज की मृत्यु शाहजहां के चौदहवें बेटे को जन्म देते समय हो गई थी. वैसे तो शाहजहां की कई सारी पत्नियाँ थी लेकिन उनमें से वह मुमताज को सबसे ज्यादा पसंद करते थे और इसीलिए मृत्यु के बाद से उन्होंने मुमताज के कब्रगाह को सबसे खूबसूरत जगह बनाने का फैसला किया और फिर यही मकबरा बनने के बाद से हर वर्ग और हर उम्र के व्यक्तियों के लिए अलग-अलग मायने रखता है.
- कम उम्र के बच्चों के लिए सफेद रंग का एक विशाल और खूबसूरत अजूबा.
- जवान लोगों के लिए प्यार की सच्ची निशानी.
- बुजुर्गों के लिए कला का अद्भुत नमूना.
ताजमहल को बनवाना शाहजहां के लिए इतना आसान काम नहीं था क्योंकि ईसे बनवाने के लिए उन्होंने पूरी दुनिया के सबसे बेहतरीन कारीगर और सबसे बेहतरीन चीजों का इस्तेमाल किया. उन्होंने बगदाद के कारीगरों को पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को बनाने के लिए बुलाया और उज्बेकिस्तान से संगमरमर पर फूलों का डिजाइन करवाया और इसी तरह इस्तांबुल समरकंद और कई अलग-अलग जगहों से अलग-अलग काम में एक्सपर्ट लोगों को बुलवाया.
इसके अलावा भी उन्होंने कई अलग-अलग जगहों से ताजमहल को बनाने वाले सामान मंगवाए. उन्हों ने कुछ रत्नों को तो मिस्र(egypt), बगदाद और रूस जैसे कई अलग-अलग देशों से खरीदे थे. वही संगमरमर पत्थर को राजस्थान के मकराना नाम के जगह चलाया गया और कुल मिलाकर 28 तरह के बहुमूल्य रत्नों को संगमरमर में जड़ा गया था और फिर सभी सामानों को इकट्ठा करने के बाद से बीस हजार से भी ज्यादा मजदूरों ने ताजमहल पर काम करना शुरू कर दिया और यह पूरा काम उस्ताद अहमद लाहौरी के अंतर्गत देखा जा रहा था.
काफी सामानों को ढोने के लिए 1000 से भी ज्यादा हाथियों का इस्तेमाल किया गया और फिर 1632 में शुरू हुआ यह काम अगले कई सालों तक चलकर 1648 में पूरा हो गया. वैसे तो 1643 में ही ताजमहल पूरी तरह से तैयार हो गया था लेकिन अगले साल आसपास की इमारतों और बागीचों को पूरा करने में लगा.
ताजमहल जब पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ तो वहाँ कई लोगों के सामने यमुना तट पर बनी हुई एक भव्य इमारत थी जिसके बारे में लोग अभी तक अपने सपने में भी नहीं सोच सकते थे और कहा तो यह भी जाता है कि ताजमहल के तैयार होने के बाद शाहजहां ने इसे बनाने वाले लोगों के हाथ कटवा दिए थे ताकि इस तरह की कोई दूसरी इमारत कभी भी बनाई ना जा सके लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक शाहजहां ने मजदूरों के हाथ नहीं काटे बल्कि उम्र भर की कीमत देकर हमेशा के लिए काम ना करने का वादा लिया था.
ताजमहल के पूरे काम में उस समय करीब 32 मिलियन रुपए खर्च हुए थे जो 2015 के वैल्यूएशन के हिसाब से 52 बिलियन रुपया हुए और इतने पैसे खर्च करने की वजह से मुगलिया रियासत के खजाने का एक बड़ा हिस्सा खत्म हो चुका था और यही वजह थी कि 1658 में शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने साही खजाने को खर्च करने के जुर्म में उन्हें बंदी बना दिया और इसके बाद से शाहजहां ने अपने जीवन के अंतिम 8 साल आगरा के किले में एक बंदी के रूप में भी था.
जब तक शाहजहां जीवित रहे तब तक शाहजहां की बेटी जेल में रहकर उनकी देखभाल की और भारत को ताजमहल के तौर पर एक खूबसूरत तोहफा देने के बाद 22 जनवरी 1666 को को शाहजहाँ इस दुनिया से चल बसे. भले ही आज वो इस भाई दुनिया में अब नहीं है लेकिन उनकी प्यार की निशानी आज भी बड़ी शान के साथ यमुना तट पर खड़ी है.
5. कोलोसियम | COLOSSEUM
दरअसल कोलोसियम इटली देश के रूम में स्थित रोमन साम्राज्य का एक विशाल स्टेडियम है और 24000 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र में फैले हुए इस जगह पर जानवरों की लड़ाई, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम की तरह ही कई सारी चीजें होती थी और ओवल शैप की एक विशाल स्टेडियम को कंक्रीट और रेत से बनाया गया है.
हालांकि प्राकृतिक आपदा और भूकंप की वजह से थोड़ा सा भाग ध्वस्त हुआ है लेकिन आज भी इसकी विशालता वैसे ही है और इसी वजह से इतनी पुरानी है वास्तुकला आज भी दुनिया के सात अजूबों में अजूबा होने का दर्जा दिया जाता है. इस विशाल स्टेडियम में एक समय पर 50 से 80000 लोग तक बैठ सकते थे क्योंकि उस समय के हिसाब से ऐसी बिल्डिंग को बनवाना कोई आसान बात नहीं थी.
6. माचू पिच्चू | MACHU PICCHU
दरअसल माचू पिच्चू अमेरिका देश के पेरू में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है जो की समुद्र तल से 2430 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ के ऊपर मौजूद है. माचू पिच्चू की खूबसूरती देखने के बाद आपको पता चल जाएगा कि यह अमेरिकी देश पेरू का एक प्रमुख हिस्टोरिकल प्लेस क्यों है साथ ही 1983 में इसे विश्व धरोहर और 2007 में दुनिया के नए अजूबों में से चुना गया और दोस्तों कुछ इसी तरह से सेवेन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड की लिस्ट में आखिरी नंबर पर है चिचेन इत्जा.
7. चिचेन इत्जा | CHICHEN ITZA
चिचेन इत्जा 5 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है एक ऐसा शहर है जहाँ पर कई सारे पिरामिड, मंदिर और खेल के मैदान बने हुए हैं. दोस्तों एक पिरामिड के चारों तरफ मिलाकर कुल 365 सीढ़ियाँ है और यहाँ पर हर एक सीडी को 1 दिन का प्रतीक माना जाता है. दोस्त को इसके अलावा यहाँ पर पवित्र कुएं के साथ-साथ खगोलीय वेधशाला भी मौजूद है और दोस्तों 2007 में स्विट्जरलैंड के new7wonders फाउंडेशन ने इसे भी अपनी लिस्ट में शामिल किया तो यादें विश्व के सात अजूबों के लिए उम्मीद करते हैं कि आपको यह वीडियो जरूर ही पसंद आई होगी और दोस्तों अगर आप चाहते हैं कि मैं हर अजूबे के बारे में अलग-अलग वीडियो बनाओ तो हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा साथी इसी तरह के नॉलेजेबल वीडियोस के लिए कृपया लाइफ हिंदी को सब्सक्राइब करें साथी बैल आइकन को दबाना ना भूले आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
दुनिया के सात पुराने अजूबे
- ग्रेट पिरमिड ऑफ गिज़ा (Great Pyramid of Giza – EGYPT)
- हैंगगिंग गार्डेन्स ऑफ बेबीलोन (Hanging Gardens of Babylon – HILLAH)
- स्टैचू ऑफ जिउस (Statue of Zeus – OLYMPIA)
- टेम्पल ऑफ आर्टेमिस (Temple of Artemis – TURKEY)
- मॉसलीअम ऑफ हलिकार्नससुस (Mausoleum of Halicarnassus – TURKEY)
- कलासस ऑफ रहोडेस (Colossus of Rhodes – RHODES)
- लाइट्हाउस ऑफ अलेक्सांद्रिआ (Lighthouse of Alexandria – EGYPT)
आशा करते हैं दोस्तों कि आपको दुनिया के सात अजूबे(seven wonders of the world name in hindi) के बारे में फोटो(images) सहित दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी. यदि आपने इस आर्टिकल को पूरा पढ़ है तो इस से आपका कहीं ना कहीं जरूर फायदा होगा.
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इस पोस्ट को पढ़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. अगर आपको इस पोस्ट में किसी भी प्रकार की कोई कमी या कोई गलती नजर आई हो तो आप हमे बेझझक कमेन्ट करके हमारी गलती को सुधारने का मौका दे सकते हैं.
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prateek says
बहुत सुन्दर एवं ज्ञानवर्धक जानकारी ,
और इस मेहनत एवं सराहनीय प्रयास के लिए आप निश्चित ही बधाई के पात्र है ।
आपने तस्वीरों के साथ – साथ शब्दों को इस लेख में इस तरह पिरोया है की , लगभग हर व्यक्ति न सिर्फ इसे आसानी से पहचान और समझ सकता है , बल्कि दूसरों को भी आसानी से समझा सकता है , और यही एक लेखक की खासियत होती है ।
आगे भी आप इसी तरह की ज्ञान वर्धक जानकारियों के साथ अपने पाठकों के सामान्य ज्ञान में वृद्धि करते रहें , यही शुभकामना है ..
धन्यवाद ..